रात-रात भर जागकर, चार्ट पेपर पर ड्राइंग बनाना।

शाम होते ही सीधे पटना जंक्शन, स्केचिंग करने पहुंच जाना।

सुबह उठकर, क्लासरूम की ओर दौड़ लगाना।

क्या ब्रेकफास्ट?? क्या लंच?? और क्या डिनर??, 

बस मैग्गी से ही काम चलाना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

एक खत्म हो तो दूसरे प्रोजेक्ट का, फिर से चले आना।

लाख पढ़ने पर भी पता नहीं क्यों, अच्छे नंबर नहीं आना।

हर दिन कैसे पी लें दारु, कोई ना कोई बहाना बनाना।

फिर रात-भर बैठकर, फ़ालतू का बतियाना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

टेंशन में बस चाय की चुस्कियां लगाना,

सुर ना होते हुए भी, गलत-सलत गुनगुनाना।

ख्यालों में क्लास की सबसे खुबसुरत लड़की का, बॉयफ्रेंड बन जाना।

फिर दोस्तों को उसके नाम की, बियर पिलाना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

मोटी-मोटी ड्राइंग की किताबों को, भले ही जोश में खरीद लाना।

पर स्केचिंग करने के नाम पर, एकदम से सहम जाना।

अंतिम समय में लाचार होकर, दोस्त के नोट्स से ही काम चलाना।

पांचो साल बस पास कर जाएँ, उसी का जुगाड़ लगाना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

जिंदगी की कश्मकश में, तालमेल बैठाना।

बी.एफ.ए. के बाद एम.एफ.ए. कैसे करें?, इसका जुगाड़ लगाना।

सारी डिग्रियां समेटने के बाद, नौकरी के पीछे पड़ जाना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

जिंदगी में मिलने वाली मुश्किलों को, हँसकर आत्मसात करते जाना।

जीवन तो है रंगीन, इसे और रंगीन बनाना।

जो पास में है उससे संतुष्ट हो, भविष्य के लिए नए दरवाजे तलाशना।

आसान है क्या? एक कलाकार बन जाना!!!

साभार:- सोशल मीडिया

Edit & Modified:- विश्वजीत कुमार

https://biswajeetk1.blogspot.com/2021/09/blog-post_25.html

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