“यदि मैं लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान ला सका तो मैं अपने जीवन को सफल मानूंगा।’’

            यह कहना था सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा जी का आज ही के दिन यानी 05 अगस्त 2014 को चाचा चौधरी, साबू, बिल्लू, पिंकी, रमन और श्रीमती जी जैसे मशहूर कार्टून किरदारों के रचयिता प्राण ने 76 साल की उम्र में अंतिम सांस ली थी। गैर-विभाजित भारत में लाहौर के पास कासूर में 15 अगस्त 1938 को जन्मे प्राण का पूरा नाम प्राण कुमार शर्मा था। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया और उन्होंने राजनीति विज्ञान में परास्नातक की डिग्री के बाद मुम्बई के सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से फाइन आर्ट्स में चार वर्षीय डिग्री ली।

        प्राण ने कार्टून बनाने की शुरूआत 1960 में दिल्ली के दैनिक समाचारपत्र ‘मिलाप’ की कॉमिक स्ट्रिप ‘दब्बू’ से की। वर्ष 1969 में प्राण ने बाल पत्रिका ‘लोटपोट’ के लिए चाचा चौधरी का स्केच बनाया, जिसने उन्हें लोकप्रिय बना दिया। उन दिनों हमारे देश में विदेशी कॉमिक्स का ही प्रचलन था, ऐसे में प्राण ने भारतीय पात्रों की रचना करके स्थानीय विषयों पर कॉमिक बनाना शुरू किया। पांच दशक के लंबे कॅरियर में हिन्दी व अन्य भाषाओं के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके रचे बिल्लू, पिन्की, तोषी, गब्दू, बजरंगी पहलवान, छक्कन, जोजी, ताऊजी, गोबर गणेश, चम्पू, भीखू, शान्तू आदि अनेक पात्र धूम मचाते रहे। हास्य और रोमांच से भरे ये कॉमिक बच्चों और बड़ों का भरपूर मनोरंजन करते और वह भारतीय कॉमिक के सबसे लोकप्रिय कार्टूनिस्ट बन गये। लगातार सफलता के क्रम में 1983 में देश की एकता को लेकर उनके द्वारा बनाई गयी कॉमिक ‘रमन- हम एक हैं’ का विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी जी ने किया था।

        कार्टूनिस्ट प्राण ने 500 से ज्यादा शीषर्क प्रकाशित किए और उनके 25000 से ज्यादा कॉमिक्स 10 भाषाओं में छपे। कई कृतियों पर कार्टून फिल्में भी बनाई गई एवं 2009 में एक फिल्म में रघुबीर यादव ने चाचा चौधरी का किरदार निभाया था। अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ कार्टून आर्ट में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल कार्टूनिस्टों के रूप में उनके पात्र जनमानस में हमेशा लोकप्रिय रहेंगे।

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