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रोज ख्वाब में वो आता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
इस सर्दी में भी,
मेरे दिल को जलाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
दिल दिया, प्यार किया,
वो गया छोड़कर।
मैं उसे यूं ही,
बुलाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
तोड़कर मुझे,
खुश है बहुत।
जिसकी याद में मैं,
आंसू बहाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
जानते थे,
बिछुड़ना है हमें।
घर किरायें का मै,
सजाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
बेफिक्र हो गया,
है आजकल।
जिसकी याद में मै,
शायरी बनाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
इस सर्दी में भी,
मेरे दिल को जलाता रहा।
रोज ख्वाब में वो आता रहा।
विश्वजीत कुमार